18) झबरू कुत्ता ( यादों के झरोके से )
शीर्षक = झबरू कुत्ता
एक बार फिर यादों के झारोखे से झाँक कर देखा तो एक और खूबसूरत लम्हा जो अब याद बन कर यादों के संदूक में अपनी जगह बना चूका है उसे आज आप सब के समक्ष रखने का एक छोटा सा प्रयास करूंगा उम्मीद करता हूँ आपको पसंद आएगा
तो आइये शुरू करते है , जैसा क़ी शीर्षक से पता चलता है क़ी हमारा वो याद गार लम्हा किसी झबरू नामी कुत्ते से जुडा होगा, जो क़ी या तो हमने पाला होगा या फिर हमारे किसी पडोसी ने या फिर किसी दोस्त का कुत्ता रहा होगा
क्यूंकि कुत्तो के अंदर खास बात होती है क़ी वो अनजान व्यक्ति को देखकर भोंकते है लेकिन जब उस व्यक्ति के साथ उसकी दोस्ती हो जाती है तो फिर वो उसका सच्चा और वफादार साथी बन जाता है
लेकिन जो कुछ भी मैंने ऊपर बताया है , ऐसा वैसा कुछ नहीं था वो कुत्ता ना तो हमारा था और न ही हमारे किसी दोस्त का जिसके साथ हमारी दोस्ती थी और कुछ अच्छी यादें जुडी हो
दरअसल उसके साथ हमारी बहुत डरावनी यादें जुडी है , यादों के झरोखे के माध्यम से आज बताने का मौका मिला है तो बताता चलू मुझे कुत्तो से सबसे ज्यादा डर लगता है, एक वक़्त को यमराज से भी इतना डर नहीं लगता है जितना क़ी अपने सामने खड़े कुत्ते को देख कर लगता है
भले ही वो सीधा खड़ा रहे, कुछ करें भी नहीं फिर भी एक अजीब सा डर लगा रहता है , क़ी कही काट ना ले, क्यूंकि कहते है कुत्ते के काटने पर पेट में दस से ज्यादा टीके लगते है और अगर इलाज अच्छे से नहीं हुआ तो मनुष्य रेबीज का शिकार हो जाता है और उसे पानी से डर लगने लगता है और वो प्यासा ही दम तोड़ देता है
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए मैं कभी भी कुत्तो से नहीं उलझता हूँ यहाँ तक क़ी रास्ते में अगर कही कुत्ता नज़र भी आ जाए तो मैं अपना रास्ता बदल लेता हूँ, लेकिन उस कुत्ते से पन्गा नहीं लेता हूँ,
ऐसी बात नहीं है क़ी मुझे कुत्ते अच्छे नहीं लगते बस एक अजीब सा डर लगता है , कुत्ते को देखने पर शायद इसलिए मैंने आज तक कोई कुत्ता ना पाला और ना ही शायद कभी पालु
क्यूंकि जिस कुत्ते के बारे में, मैं आपको बताने जा रहा हूँ उस कुत्ते ने मुझ पर तीन बार हमला किया था , ना जाने उसका मुझसे क्या बेर था जो मुझे देखते ही आक्रामक हो जाता और मेरे पीछे पड़ जाता शायद उसे मालूम था क़ी ये कुत्तो से डरता है इसलिए वो हमेशा मेरे पीछे पड़ जाता
आप यकीन नहीं मानेगे उस कुत्ते के डर क़ी वजह से मैंने मस्जिद जाने का रास्ता नहीं बल्कि किसी दूसरी मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ना शुरू कर दी थी
वो कुत्ता दरअसल किसी का पाला हुआ कुत्ता था, जो क़ी एक पीपल के पेड़ के नीचे ही रहता था, उसका रंग भूरा था और बहुत ज्यादा झबरा था इसलिए मैंने उसे झबरू कुत्ते का नाम दे दिया था , असली नाम क्या था उसका मैंने कभी जानने क़ी कोशिश नहीं क़ी क्यूंकि उसने मुझे अपने नोकीले दांतो से तीन बार काटने क़ी कोशिश क़ी थी जिसके बाद तो मैं उसका ख्याल भी अपने मन में नहीं लाना चाहता हूँ, आज मौका मिला तो उसके बारे में लिख दिया
नहीं मालूम अब भी वो ज़िंदा है या उसके जीवन क़ी यात्रा खत्म हो गयी , लेकिन अब भी अगर वो मेरे सामने आ जाए तो मैं अपना रास्ता बदल लूँगा
उम्मीद करता हूँ, आपको मेरे संस्मरण द्वारा मेरे डर का पता चल गया होगा कि मुझे कुत्तो से कितना डर लगता है , ऐसे ही किसी और याद गार लम्हें को आपके साथ साँझा करने आऊंगा जब तक के लिए अलविदा
यादों के झरोखे से
Gunjan Kamal
17-Dec-2022 09:08 PM
बेहतरीन
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Sachin dev
14-Dec-2022 04:02 PM
बेहतरीन प्रदर्शन
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